निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को उत्तर-पूर्वा राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनावों का किया ऐलान


नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को उत्तर-पूर्वा राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया है। इन तीनों राज्यों में दो चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न होगा। पहले चरण की वोटिंग 18 फरवरी को त्रिपुरा में और दूसरे चरण की 27 फरवरी को मेघालय और नागालैंड में होगी। वोटों की गिनती 3 मार्च को होगी। उसके नतीजों की घोषणा की जाएगी।
इन तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। चुनाव आयोग के मुताबिक हर विधानसभा सीट के एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट से वोटिंग होगी और स्लिप की काउंटिंग की जाएगी। चुनाव आयोग की इस घोषणा के साथ ही तीनों राज्यों में चुनावी आचार संहिता लागू हो गई है। इस बार के चुनाव में इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनावों की रोचक तस्वीर देखने को मिलेगी। गौरतलब है कि बीजेपी धीरे-धीरे उत्तर-पूर्वी भारत में भी अपनी पकड़ बना रही है।
इससे पहले बीजेपी मणिपुर और असम में अपनी सरकार बना चुकी है। अब बीजेपी की निगाह होगी इन राज्यों पर। यदि बीजेपी यहां पर भी कामयाब हो जाती है तो यह बीजेपी के लिए एक ऐतिहासिक जीत साबित हो सकती है। अभी एक-चौथाई से ज्यादा राज्यों में बीजेपी प्रत्यक्ष और साझा रूप में सरकार सरकार चला रही है। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में चुनाव बहुत रोचक होने वाला है।
त्रिपुरा
त्रिपुरा में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है यहां का लेफ्ट पार्टी। सीपीएम पिछले दो दशकों से यहां पर सरकार चला रही है। त्रिपुरा की विधानसभा सीट 60 है और बीजेपी इस बार पूरी दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है। हालांकि 2013 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम 49 सीटों पर विजयी हुई थी। जब कि शेष 10 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। लेकिन इस बार समीकरण कुछ जटिल है।
नागालैंड
यहां पर 60 सीटें हैं। यहां पर बीजेपी सरकार में शामिल है। नगा पीपल्स फ्रंट(NPF) बीजेपी के साथ नागालैंड में सरकार चला रही है। यहां पर बीजेपी के लिए चुनौती बीजेपी की सहयोगी पार्टी जदयू ने पेश कर दी है। बिहार में जदयू से बीजेपी का गठबंधन है लेकिन नागालैंड में जदयू ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। ऐसे में बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यहां पर बीजेपी की चुनौती होगी अपनी सरकार को बचाने की।
मेघालय
मेघालय कांग्रेस के अधीन है। लेकिन निकट में हुए चुनावों में कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि गुजरात को अपवाद के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन कांग्रेस को चिंता सता रही है कि कहीं मेघालय भी उनके हाथ से निकल ना जाए। हाल ही में बीजेपी में यहां पर कांग्रेस की गढ़ में सेंध लगा दिया था। कांग्रेस के 4 विधायकों ने अपनी पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। इस साल भी कांग्रेस से आठ विधायक एनडीए में शामिल हो गए। एनपीपी भी यहां पर बीजेपी एलायंस में शामिल है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सरकार बचाना कड़ी चुनौती है।

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