नई दिल्ली। मोदी सरकार ने हज यात्रा पर सब्सिडी खत्म कर दी है। केंद्र सरकार ने हज यात्रियों की दी जाने वाली सब्सिडी पर फैसला लेते हुए इसे बंद कर दिया है। इससे करीब हर साल एक लाख 75 हजार हज यात्रियों को सब्सिडी दी जाती थी। इससे सरकार के ऊपर सालाना 700 करोड़ रुपये का बोझ आता था। केंद्र सरकार ने नई हज नीति के तहत यह फैसला लिया है। इससे पहले मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत दी थी। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अब केंद्र सरकार हज यात्रियों को सब्सिडी नहीं देगी।
नकवी ने कहा कि इस साल 1.75 लाख मुसलमान हज पर जाएंगे जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। ये लोग बिना सब्सिडी के यात्रा पर जाएंगे। इस फैसले पर नकवी ने कहा कि सब्सिडी खत्म करने जो धनराशि बचेगी, उसका इस्तेमाल अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास में होगा। अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों व महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
नकवी ने कहा कि भविष्य में समुद्री मार्ग से भी हज यात्रा शुरू की जाएगी। बता दें कि इसके लिए नकवी ने सऊदी अरब के हज एवं उमरा मंत्री डॉ. मुहम्मद सालेह बिन ताहिर बिनतेन के साथ हज-2018 के संबंध में द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस दौरान सऊदी अरब सरकार ने भारत से पानी के जहाज से हज यात्रा दोबारा शुरू किए जाने को हरी झंडी दे दी थी।
सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है और कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि हज सब्सिडी फंड से एजेंटों और कुछ कंपनियों को ही फायदा होता था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे धीरे-धीरे 10 साल के अंदर खत्म करने को कहा था लेकिन मोदी सरकार ने इसको अचानक खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला लेकर सरकार मुसलमानों को सख्त संदेश देना चाहती है।
वहीं इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि साल 2012 से ही हज सब्सिडी खत्म करने की शुरुआत हुई थी। उसको ही मोदी सरकार ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अब हज सब्सिडी के तहत खर्च होने वाला पैसा अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं और लड़कियों के शैक्षणिक विकास के लिए किया जाएगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सरकार को निर्देश दिया था कि अगले दस वर्षों में हज पी दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त कर दी जाए।
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